मंगलवार, 24 फ़रवरी 2009

तुम आए मेरे जीवन में

तुम आए मेरे जीवन में ऐसे ...
सालों से सूखे ठूंठ में सहसा
उग आयीं हो नयी कोंपलें जैसे...
तुम आए मेरे जीवन ऐसे
महुए की मदिर गंध फागुन में
फैल गयी हो वन-उपवन में जैसे...
तुम आए मेरे जीवन में ऐसे
जलती -तपती धरती पर बरसी हों
घिर-घिर के घनघोर घटाएं जैसे...
तुम आए मेरे जीवन में ऐसे
थककर बैठे क्लांत पथिक के सम्मुख
तीर्थ स्वयं चलकर आया हो जैसे

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