लाशों का करते हो हिसाब-किताब
हत्यारों की जाति-धर्म गिनाते हो
ये बताओ दोस्त,
इतनी नफ़रत कहाँ से लाते हो...
अपने धर्म वालों के सौ खून माफ़
दूसरे धर्म को हिंसक बताते हो
ये बताओ दोस्त,
ऐसा कर कैसे पाते हो?
एक ज़रा सी अफवाह सुनकर
करते हो हत्याएँ सरेआम
ऐसा करके दोस्त,