सोमवार, 18 मार्च 2019

फरवरी की बारिश

भयभीत करता है फरवरी के महीने में
टीन की छतों पर गिरता बारिश का पानी
बढ़ती जाती है जैसे-जैसे ठंडक
सिहरन होती है शरीर में
कान के पीछे झुरझुरी
थरथराते  हाथों से हटता है परदा
भीग गए होंगे बिस्तर फुटपाथ पर सोने वालों के
मेरी आँखों के कोनों पर
अटक जाती हैं दो बूँदें
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सुना है मंगल ग्रह पर हुआ करता था पानी और जीवन. पानी खत्म हुआ तो जीवन भी खत्म.
रोना कमजोरी की निशानी नही, जीवन का संकेत है

शुक्रवार, 15 मार्च 2019

सरकार की सरकार

वादे किये बड़े-बड़े
विकास के अग्रदूत थे वे
समाज के एक बड़े तबके को आंदोलित किया
अपने भाषणों से

वे कहते थे सच्चे हम
न हुआ इतिहास में हम सा कोई ईमानदार
विकास की नयी-नयी परिभाषाएँ गढ़ीं
पोस्टरों पर चेप उनको
बैठ गए धरने पर

बेईमानी और भ्रष्टाचार से भन्नाए लोगों की
एक अकेली आस थे वे
गरीब-बीमार-भुखमरों के
एकमात्र विश्वास थे वे

फिर एक दिन टूट गए छन्न से लाखों दिल
और ढहढहाकर गिर गयी उम्मीदों की इमारतें
क्या करें भई ? क्या कहें ?