शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

रिश्ते टूटते हैं प्यार नहीं टूटा करता

सोचती हूँ हम दोनों के बीच
जो था वो था भी कि नहीं
ये कैसा खालीपन है
इस पार से उस पार तक
सूखी पहाड़ी नदी पर पसरे रेत सा
सफ़ेद, सफ़ेद और सफ़ेद

यूँ तो खालीपन पहले भी था
पर कुछ चीज़ों से भरा-भरा
कुछ चुहल भरी बातें
कुछ मिस्री घुली यादें
उनींदी आँखों के कुछ रंग भरे सपने
दो दिलों में पलने वाले प्यार की खुराक
हम मानते थे
खालीपन ज़रूरी है प्यार के विस्तार के लिए

हम सोचते थे भर देंगे इस खालीपन को
लबालब अपने प्रेम से
और फिर दो किनारे मिल जायेंगे
इस पुल के सहारे-सहारे
पर सोचा हुआ होता है क्या कभी?
अब बस खालीपन है और कुछ भी नहीं
उस पार किसी के होने की आस तक नहीं

कभी लगता है सब भ्रम था
या कि एक रात का सुन्दर लंबा सपना
पर नहीं, भ्रम नहीं, था ये शाश्वत सत्य
एक किनारे वाली इस रेत की नदी में
डूब-डूब जाता है मन, ढूँढने को पुरानी बातें
पुल टूट गया तो क्या
प्यार तो बाकी है अब भी कहीं
मेरे दिल के किसी कोने में मौजूद,

सुकून है अब बस
किसी से मिलने की बेचैनी नहीं
बिछड़ने का डर भी नहीं
कभी-कभी किसी रिश्ते का टूटना
कितनी राहत दे जाता है
क्योंकि प्यार तब भी रहता है
रिश्ते टूटते हैं
प्यार नहीं टूटा करता.