एक औरत...
कैसे देखे सपना
आसमान छूने का
जबकि उसकी पूरी ज़िंदगी
गुज़र जाती है
तलाशते हुए अपने हिस्से की ज़मीन
एक औरत...
कैसे लड़े समाज के लिए
जबकि उसको प्रतिदिन लड़ना पड़ता है
ख़ुद समाज से
एक औरत ...
क्या कर सकती है
बेघरों के लिए
जबकि ख़ुद सारा जीवन
ढूँढती रहती है अपना घर
एक औरत ...कैसे सोचे संसार के बारे में
जबकि उसका परिवार ही बन जाता है
उसका संसार ... ...
कैसे देखे सपना
आसमान छूने का
जबकि उसकी पूरी ज़िंदगी
गुज़र जाती है
तलाशते हुए अपने हिस्से की ज़मीन
एक औरत...
कैसे लड़े समाज के लिए
जबकि उसको प्रतिदिन लड़ना पड़ता है
ख़ुद समाज से
एक औरत ...
क्या कर सकती है
बेघरों के लिए
जबकि ख़ुद सारा जीवन
ढूँढती रहती है अपना घर
एक औरत ...कैसे सोचे संसार के बारे में
जबकि उसका परिवार ही बन जाता है
उसका संसार ... ...
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएं... सुन्दर व प्रभावशाली रचना ।
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