कल रात
बड़ी मुश्किल से टूटा
मेरे हाथ से रोटी का कौर
सब्जी मुँह में पड़ते ही
ज़हर सी लगी,
रेडियो में आ रही थी ख़बर
भूख से मरने वालों की ,
मेरी आँखों में पानी आ गया
और मुँह से निकली इक आह
कि हे ईश्वर,
तू या तो सबको भरपेट खाना देता
या मुझे देता सामर्थ्य
उनकी मदद करने की,
ये सोचते-सोचते मैंने
पूरा खाना खा लिया,
और मुझे मालूम है
कि मैं उसे पचा भी लूँगी ,
ठीक उसी तरह
जैसे उस ख़बर को पचा लिया,
क्योंकि ...भूख से मरने वालों की ख़बर
हमारे लिए सिर्फ़ ख़बर है
जिसे हम सुनते हैं
अफ़सोस ज़ाहिर करते हैं
और भूल जाते हैं ।
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