मेरी किस्मत में
नहीं थी चाँदी की चम्मच
और मखमली कालीन
थे पथरीले काँटों से भरे रास्ते
जिन पर झाड़-झंखाड़ को हटाकर
ख़ुद ही चलना था मुझे
मेरी किस्मत में नहीं थी
माँ की ममता की छाँव
और पिता के प्यार का साया
दुःख और मुश्किलों की धूप में
तपते रहना और जलना था मुझे
पर ...मुझे
किस्मत से कोई शिकायत नहीं
आख़िर ...उसने ही तो मुझे
ख़ुद अपनी राह बनाना सिखाया
धीरज रखना और दुःख सहना सिखाया
ठोकरें खा-खाकर
सख्त़ और सख्त़ बनती जा रही हूँ मैं
ख़ुद अपनी राह पर
बिना किसी सहारे चलती जा रही हूँ मैं ।
नहीं थी चाँदी की चम्मच
और मखमली कालीन
थे पथरीले काँटों से भरे रास्ते
जिन पर झाड़-झंखाड़ को हटाकर
ख़ुद ही चलना था मुझे
मेरी किस्मत में नहीं थी
माँ की ममता की छाँव
और पिता के प्यार का साया
दुःख और मुश्किलों की धूप में
तपते रहना और जलना था मुझे
पर ...मुझे
किस्मत से कोई शिकायत नहीं
आख़िर ...उसने ही तो मुझे
ख़ुद अपनी राह बनाना सिखाया
धीरज रखना और दुःख सहना सिखाया
ठोकरें खा-खाकर
सख्त़ और सख्त़ बनती जा रही हूँ मैं
ख़ुद अपनी राह पर
बिना किसी सहारे चलती जा रही हूँ मैं ।
aapkee bhavnaokee abhivyakti sundar aur arthpurn hai.. aapka dhairy aur sahas ek nai ajjadi kee rah par chale ka dyotak hai....
जवाब देंहटाएंजिजीविषा बड़ी होती है । इसे सम्हाले रखें ।
जवाब देंहटाएंबड़े दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आया, पता नहीं कैसे विरम जाता था। आता रहूंगा ।
कहते हैं कि-
जवाब देंहटाएंसारे चराग हमने लहू से जलाए हैं।
जुगनू पकड़ के घर में उजाला नहीं किया।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
अच्छा लगा आपको पढना ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर शक्तिशाली अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंplease visit my blogs paraavaani and creative policing
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना! क्या कहना!
जवाब देंहटाएंमैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को ग़ज़ल,गीत डालता हूँ,जरूर देखें।मुझे पूरा यकीनहै कि आप को ये पसंद आयेंगे।