फूल सभी मुरझा गए
सूरज बुझ गया
चिडियाँ गूँगी हो गयीं
सन्नाटा फैल गया सब ओर
दिशाएँ सूनी हो गयीं
रंगों से भरा ये संसार
कब हो गया फीका -फीका सा
मुझे कुछ भी नहीं याद
कि देखी हैं कब बहारें मैंने
तुम्हारे जाने के बाद
... ... ...
तुम्हारे होने से
फैल जाती थी
हवाओं में महक और
गुनगुना उठती थीं पेड़ों की पत्तियाँ
सारा संसार लगता था
अपना -अपना सा
जगता था अपने अस्तित्व की
पूर्णता का अहसास
आज अधूरी हो गई हूँ मैं
तुम्हारे जाने के बाद ।
सूरज बुझ गया
चिडियाँ गूँगी हो गयीं
सन्नाटा फैल गया सब ओर
दिशाएँ सूनी हो गयीं
रंगों से भरा ये संसार
कब हो गया फीका -फीका सा
मुझे कुछ भी नहीं याद
कि देखी हैं कब बहारें मैंने
तुम्हारे जाने के बाद
... ... ...
तुम्हारे होने से
फैल जाती थी
हवाओं में महक और
गुनगुना उठती थीं पेड़ों की पत्तियाँ
सारा संसार लगता था
अपना -अपना सा
जगता था अपने अस्तित्व की
पूर्णता का अहसास
आज अधूरी हो गई हूँ मैं
तुम्हारे जाने के बाद ।
dard liye hue hai ....dil ki khamoshi bhi kabhi kabhi bahut kuchh kah jati hai
जवाब देंहटाएंअहसासों की सुन्दर अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , सचमुच आँखें वही देखती हैं , जो मन के अहसास उसे दिखाते हैं |
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