मेरी ज़िन्दगी में तुम्हारे आने से
कुछ बदल गया है
बदल गये हैं गीतों के मायने
वो मन की गहराइयों तक
उतरने लगे हैं
देने लगे हैं आवाज़
मेरी भावनाओं को
मानो मेरी ही बातें
कहने लगे हैं,
बदल गया है मौसम का अन्दाज़
वो बातें करता है मुझसे
चिड़ियों के चहकने से
बारिश के रिमझिम से
मेरे साथ हँसता-रोता है मौसम
पहले सा नहीं रहा,
बदल गयी मेरे पाँवों की थिरकन
मेरा बोलना, मेरा देखना
मैं खुद को ही अब
पहचान नहीं पाती
सब बदल गया है,
मेरी ज़िन्दगी में तुम्हारे आने से
कुछ नया हुआ है
पहले की तरह अब
नहीं लगता डर मुझे
पुरुषों पर
कुछ-कुछ विश्वास हो चला है.
wah
जवाब देंहटाएंshukar h us aadmi ka jiske karan aurat ko aadmi par vishvas hua. Us aadmi ko bhi dhanyavad aur aapko bhi
सच्चा प्यार कैसे मन के भाव बदलता है..आप ने कविता में खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है.
जवाब देंहटाएंnice poem! really, love can change everything.it can change one's point of view towards world as your poem is describing beautifully...
जवाब देंहटाएंपहले की तरह अब
जवाब देंहटाएंनहीं लगता डर मुझे
पुरुषों पर
कुछ-कुछ विश्वास हो चला है.
पुरूष इतने डरावने कब हो गये थे. वस्तुत: जो डरावने हैं वे पुरूष ही कहा हैं - पशुवत है.
सुन्दर भाव से लैस है कविता.
यह तो बिलकुल ताजगी लिए है पुरातनता का लेश मात्र भी तो नहीं यहाँ -सीधे संवाद करती ,विश्वास और आशा की नयी कोपलें उगाती और सुखद संभावनाओं का द्वार खोलती एक बेहतरीन अभिवयक्ति!
जवाब देंहटाएंएम. वर्मा जी,
जवाब देंहटाएंऔरतें बहुत से ऐसे डरावने अनुभवों से गुज़रती हैं कि उन्हें पुरुष मात्र से ही डर लगने लगता है.
अल्पना जी ने सच्ची बात कही । मुझे उस पुरुष के अस्तित्व की गंध मिल रही है , जिसने औरत को उसके विश्वास की याद दिला दी ।
जवाब देंहटाएंप्रेम की उपस्थिति का प्रभावकारी चित्रण । आभार ।
सुन्दर एहसास!
जवाब देंहटाएंअति उत्तम रचना ........
जवाब देंहटाएंकविता की जितनी प्रशंसा की जाये उतनी ही कम है. माँ-बेटी के बीच की संवेदनाओं की गहरायों को आपने कलात्मक रूप से कविता के माध्यम से शब्दों में पिरोया है.
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