एक स्त्री के मन से निकले कुछ शब्द, कुछ प्रश्न और तमाम अटपटी-अनकही-अनसुलझी बातें...
विस्थापन की पीड़ा वही जानता है जो इस से गुजरता है ..मेरी कविता की एक पंक्ति है .. रेल की खिड़की से दिखाई देने वाले पेड़ /नही जान सकते / उखड़े हुए पेड़ों का दर्द .. अच्छी कविता लिख रही हो मुक्ति और मेहनत करो -शरद कोकास
घर लौटने के लिए एक घर होना ज़रूरी है. वे क्या घर लौटेंगे जो बेघर हो चुके है
मार्मिक अभिव्यक्ति!!
chhoo gayi kavita!
उम्दा , सुन्दर कविता। आपके शब्दो का चयन लाजवाब है। बहुत-बहुत बधाई.....................
विस्थापन की पीड़ा वही जानता है जो इस से गुजरता है ..मेरी कविता की एक पंक्ति है .. रेल की खिड़की से दिखाई देने वाले पेड़ /नही जान सकते / उखड़े हुए पेड़ों का दर्द .. अच्छी कविता लिख रही हो मुक्ति और मेहनत करो -शरद कोकास
जवाब देंहटाएंघर लौटने के लिए एक घर होना ज़रूरी है.
जवाब देंहटाएंवे क्या घर लौटेंगे जो बेघर हो चुके है
मार्मिक अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंchhoo gayi kavita!
जवाब देंहटाएंउम्दा , सुन्दर कविता। आपके शब्दो का चयन लाजवाब है। बहुत-बहुत बधाई.....................
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