शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

तेरा प्यार

तेरा प्यार बहुत कुछ था
मेरे लिये
पर सब कुछ नहीं,
और भी बहुत कुछ है
दर्द है, तन्हाई है,
सूनापन है
और अन्धेरा भी,
बेशक चले जाओ तुम
पर तुम्हारी याद है
इतना सब कुछ है
दुनिया में
मेरे लिये

सोमवार, 21 सितंबर 2009

बादल के टुकड़े

मुट्ठी में
आकाश पकड़ना चाहा था
कुछ बादल के टुकड़े
मेरे हाथ लगे
हम अम्बर को देख
तरसते रहते हैं
ये बादल दिन-रात
बरसते रहते हैं

रविवार, 20 सितंबर 2009

टूटे सपने

टूटे सपनों की किरचें
बिखरी हैं
मन की फ़र्श पर
बटोरो तो चुभती हैं
हाथों में
ना देखो
तो पैरों में
देखो तो
आँखों में
इस कश्मकश के
पार उतार दे
कोई मेरे टूटे सपनों की
किरचें बुहार दे

शनिवार, 19 सितंबर 2009

घर

शाम ढलते ही
पंछी लौटते हैं 
अपने नीड़
लोग अपने घरों को
बसों और ट्रेनों में 
बढ़ जाती है भीड़
पर वो क्या करें 
जिनका घर हर साल ही 
बसता-उजड़ता है
यमुना की बाढ़ के साथ

गुरुवार, 17 सितंबर 2009

सूखे फूलों को मत फेंको

सूखे फूलों को मत फेंको
हो सकता है इनमें से ही
बीज कोई धरती पर गिरकर
मिट्टी-पानी से मिलजुलकर
किसलय एक नया बन जाये
तरह-तरह के फूल खिलाये
सूने उपवन को महकाये
खत्म नहीं होती मिटकर भी
बीजों की ताकत को देखो
सूखे फूलों को मत फेंको