शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

लड़कियाँ और कुकुरमुत्ते


(2001 की जनगणना के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में हमारे गृह जनपद आजमगढ़ में लिंगानुपात सबसे अधिक थी. (2011 के आंकड़े नहीं जानती)आमतौर पर हम ये बात बड़ी शान के साथ बताते थे, लेकिन गाँवों में जब लड़कियों की हालत देखी, तो लगा कि हम भले ही लड़कियों को कोख में मारते ना हों, लेकिन उन्हें पैदा भी नहीं करते. वो तो खुद ब खुद पैदा हो जाती हैं और खुद ही पलती-बढ़ती जाती हैं. तभी ये कुछ पंक्तियाँ लिखीं थीं, जिन्हें ब्लॉग पर भी लगाया था. आज दुबारा पोस्ट कर रही हूँ.)

लड़कियाँ गाँधीजी के तीन बंदरों का
जीवंत प्रतिरूप हैं
न देखती हैं ,न सुनती हैं ,न कहती हैं
लड़कियाँ पाली नहीं जाती
कूड़े के ढेर पर पलने वाले कुकुरमुत्तों की तरह
ख़ुद ही पलती और बढती रहती हैं।

लड़कियाँ बहनें ,बेटियाँ ,पत्नी और माँ हैं
लड़कियाँ ख़ुद कहाँ हैं?

कोई नहीं सोचता
कि लड़कियाँ सोच सकती हैं
इसलिए उनकी कोई पसंद, कोई ख़्वाहिश नहीं होती।

लड़कियों को बताया जाता है
कि वे सोचने के लिए नहीं करने के लिए हैं
और इसीलिए
लड़कियाँ करती रहती हैं
झाडू ,पोछा ,बर्तन,खाना
जो भी उनसे कहा जाता है।
शादी से पहले पिता के घर
शादी के बाद पति के यहाँ बस करती ही रहती हैं,
न देखती हैं ,न सुनती हैं ,न कहती हैं
कूड़े के ढेर पर उगने वाले कुकुरमुत्तों की तरह
उगती ,पलती ,बढती और मरती रहती हैं। ... ...

21 टिप्‍पणियां:

  1. कविता का आरंभ पढ़ता हुआ सोचता हूँ कि इसे फिर से पढ़ लूँ और बार बार पढ़ता हूँ...

    अभी यही कर रहा हूँ। ये लाजवाब है।

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  2. Bahut hi sarthak vyangy, ladkiyon ke prati logon ki soch par.

    Sochne ko vadhy karti huyi post.

    Neeraj
    Life is Just a Life

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  3. लड़कियाँ बहनें ,बेटियाँ ,पत्नी और माँ हैं
    लड़कियाँ ख़ुद कहाँ हैं?..... awesome dear

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  4. :(

    ऐसा क्यूँ है ???

    मुझ से मत जलो - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !

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  5. लड़कियों के लिए सटीक बिम्ब ... गहन अभिव्यक्ति

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  6. Banne nahi kabhi hum denge...
    Gandhi ke bandar sa hum...
    Apni beti ko paalenge...
    Bete se bhi badhkar hum....

    Jhadu-ponchha-bartan main na...
    Jeevan kabhi gawayengi..
    Padh-likh kar samarth banegi...
    Duniya ko dikhlayegi...

    Ghar-aangan ki sada dulari..
    Jo beti swalambi ho...
    Swabhiman se jiye sada hi...
    Ghar-bahar ho kahin pe wo..

    ....
    .....

    Lagta hai jaise aapki yah kavita maine kahin padhi hai...shayad orkut main!!...ya shayad aapke blog par!!!..aapne bahut marmik chitran kiya hai...

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  7. एक और बेहतरीन रचना के लिए बधाइयाँ !

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  8. लड़कियों को बताया जाता है
    कि वे सोचने के लिए नहीं करने के लिए हैं
    और इसीलिए
    लड़कियाँ करती रहती हैं
    झाडू ,पोछा ,बर्तन,खाना
    जो भी उनसे कहा जाता है।
    शादी से पहले पिता के घर
    शादी के बाद पति के यहाँ बस करती ही रहती हैं,
    ...
    क्या कहूँ
    कितनी बातें तो होती हैं रोज कभी कभी रोना आ जाता है !

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  9. इसे कहते हैं दिव्य दृष्टि, दिव्य सोच ..... दिव्य उपसंहार

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  10. समय बदल तो रहा है..पर तेजी से नहीं.....ये सच आंखों से देखा है.....कई बार प्रयासों के बीच निराशा घेरती है पर बेहतरी के लिए प्रयास जारी रखता हूं...कई सारे चीजें जुड़ी होती हैं....एक जगह काम करो..तो दूसरी तक पहुंच ही जाते हैं अनायस हम लोग..।

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  11. सच में लड़की की तुलना कुकुरमुत्ते से करना बहुत सही है. कविता बहुत सही है और लड़कियों के एक बड़े प्रतिशत की सच्चाई बताती है.
    घुघूतीबासूती

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  12. बहुत बढ़िया कविता, काबिले तारीफ ।
    मेरी नयी पोस्ट -"क्या आप इंटरनेट पर ऐसे मशहूर होना चाहते है?" को अवश्य देखे ।धन्यवाद ।
    मेरे ब्लॉग का पता है - harshprachar.blogspot.com

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  13. कितना दुःख हो रहा है यह कहते हुए की सारगर्भित रचना है ...कितने शर्म की बात है की लड़कियों की इस दयनीय दशा को जानते,पहचानते, समझते बूझते भी हम कुछ नहीं कर रहे ......तुमने इस पीड़ा को कितनी सहजता से व्यक्त किया है ...जैसे यह कोई मामूली रोज़ मर्रा की बात है ...यही इस कविता का सार है ...की हमें अब इस स्तिथि से कष्ट भी नहीं पहुँचता ...बस है तो है ....एक निष्ठुर सच .....

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  14. लडकियाँ ओर कुकुरमुत्ते कूढ़े के ढेर पर सिर्फ हिन्दुस्तान में पलते हैं ,

    यत्र नार्यस्तु पीटन- ते ,रमन्ते तत्र देवता ,

    अब भारत में सिर्फ देवता वास करतें हैं ,

    लोग लडकियों को तरसतें हैं ,

    सिर्फ हिन्दुस्तान में ही मिलतीं हैं कूढ़े के ढेर पे लडकियां .

    लड़के उन्हें वहां भी बीनते मिलते हैं .

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  15. कड़वी सच्चाई को कविता में ढालने की आदत बना ली है आपने। यह भी कटु सत्य है और कुकुरमुत्तों से उपमा तो ..गज्जब!

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  16. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  17. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ... और कड़वा सच ...

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  18. आज 21/02/2013 को आपकी यह पोस्ट (संगीता स्वरूप जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  19. हर शब्द शब्द की अपनी अपनी पहचान बहुत खूब

    मेरी नई रचना

    खुशबू

    प्रेमविरह

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  20. सुंदर पंक्तियाँ ...... आपको धन्यवाद ............
    आप भी पधारो आपका स्वागत है ....pankajkrsah.blogspot.com

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