कवयित्री बीनू की कविता "गुमनाम प्रेमिकाएँ" हाल ही में इसी नाम से प्रकाशित उनके पहले "कविता-संग्रह" की प्रतिनिधि कविता है। इस कविता में वे उन प्रेमिकाओं की स्थिति की छानबीन करती हैं, जिनका प्रेम प्रकाशित नहीं होता, जो डूबकर प्रेम करती हैं, लेकिन उनके प्रेम के विषय में कोई नहीं जान पाता। उनका नाम प्रेमिकाओं की सूची में शामिल नहीं होता।
बीनू की कविताएँ एक अलग ही धरातल पर लिखी गयी हैं. उनमें भाव और प्रवाह के साथ ही साथ गहन अनुभूतियों का विस्तृत संसार है. ये रोमांटिक कविताएँ हैं भी और नहीं भी. भावनाओं से ओतप्रोत होते हुए भी ये कविताएँ ठोस वैचारिक समझ लिए हुए हैं. उन्हें महसूस करने के साथ ही साथ समझना भी ज़रूरी है. इसके लिए बार-बार पाठ करने की ज़रूरत है. सुधी पाठकों को यह कविता-संग्रह अवश्य ही बहुत पसंद आएगा.
इस पोस्ट में उनकी कविता का एक अंश प्रस्तुत कर रही हूँ। उनकी कविताएँ पढ़ने के लिए आप अमेज़न से कविता-संग्रह खरीद सकते हैं इसके लिए यहाँ क्लिक करें।
गुमनाम प्रेमिकाएँ
कहाँ ढूंढ़ी जानी चाहिए?
महाद्वीपों के किस किनारे पर
पूर्वी या पश्चिमी?
अलग अलग है दोनों
एक किनारे हैं गर्म हवाएँ
तो दूसरी ओर ठंडी
एक तरफ है ज्वालामुखी
तो दूसरी तरफ बर्फ के पहाड़
किन जंगलों, पहाड़ों, तराई
घाटी, खाई में?
कहाँ?
गुम हुई प्रेमिकाएँ
कहीं नहीं छोड़ती कोई चिह्न
ना किताबों के वर्क पर
न हाशिए पर
न शब्दों में,
न पंक्तियों के बीच
ख़ाली जगहों में।
किसी ने नहीं देखी इनकी सूरत,
न सीरत,
किसी ने नहीं सुना
इनका रोना कैसे संभव हुआ ये
जबकि दूसरी पृथ्वी नहीं है
जहाँ बस जाने का अंदेशा हो
वो अपने साथ
क्या-क्या लेकर विलुप्त हो
किसके महापाप!
किसका महापुरुषत्व!