शनिवार, 22 सितंबर 2012

तुमने ही तो कहा था

हमें कहा गया कि कुछ भी करने से पहले
इजाज़त ली जाए उनकी
‘लड़कियाँ आज्ञाकारी होनी ही चाहिए’
किसी भी सूरत में,

हमने हर काम करने से पहले उनकी इजाज़त ली
ये बात और है कि किया वही जो दिल ने कहा
कि दिल और दिमाग
किसी और के कहने से नहीं चलते,
और कुछ 'सोचने' से पहले
इजाज़त लेने की बात भी नहीं थी।

हमें निर्देश दिया गया था
कि चलते समय ध्यान रखना
दो क़दमों के बीच का फासला
न हो एक फुट से ज्यादा
कि लड़कियाँ लंबी छलाँगें लगाती अच्छी नहीं लगतीं,  

हमने उनकी बात मानी
और उसी एक फुट के अन्दर
बसा ली अपनी दुनिया ,
कम से कम हमारी दुनिया अब
हमारे क़दमों के नीचे थी
और हमारे कदम भी ज़मीन पर।

जब हमने लिख दीं ये सारी बातें  
तो पकड़े गये
हम पर चला मुकदमा 'नियमों के उल्लंघन' का,
अपने ही विरुद्ध गवाही देने को बाध्य किया गया
जबकि ये बात संविधान के विरुद्ध थी,

पर हमने वो भी किया
अपने ही विरुद्ध गवाही दी,
और कहा कि सब कुछ काबू में था
जब तक हमने तुम्हारी हर बात मानी
अब, बात हद से आगे बढ़ गयी है,

अब तो मेरा ही अस्तित्व मेरी बात नहीं मानता,
अपने विरुद्ध जाने के लिए हमसे
तुमने ही तो कहा था।

शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

लड़कियाँ और कुकुरमुत्ते


(2001 की जनगणना के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में हमारे गृह जनपद आजमगढ़ में लिंगानुपात सबसे अधिक थी. (2011 के आंकड़े नहीं जानती)आमतौर पर हम ये बात बड़ी शान के साथ बताते थे, लेकिन गाँवों में जब लड़कियों की हालत देखी, तो लगा कि हम भले ही लड़कियों को कोख में मारते ना हों, लेकिन उन्हें पैदा भी नहीं करते. वो तो खुद ब खुद पैदा हो जाती हैं और खुद ही पलती-बढ़ती जाती हैं. तभी ये कुछ पंक्तियाँ लिखीं थीं, जिन्हें ब्लॉग पर भी लगाया था. आज दुबारा पोस्ट कर रही हूँ.)

लड़कियाँ गाँधीजी के तीन बंदरों का
जीवंत प्रतिरूप हैं
न देखती हैं ,न सुनती हैं ,न कहती हैं
लड़कियाँ पाली नहीं जाती
कूड़े के ढेर पर पलने वाले कुकुरमुत्तों की तरह
ख़ुद ही पलती और बढती रहती हैं।

लड़कियाँ बहनें ,बेटियाँ ,पत्नी और माँ हैं
लड़कियाँ ख़ुद कहाँ हैं?

कोई नहीं सोचता
कि लड़कियाँ सोच सकती हैं
इसलिए उनकी कोई पसंद, कोई ख़्वाहिश नहीं होती।

लड़कियों को बताया जाता है
कि वे सोचने के लिए नहीं करने के लिए हैं
और इसीलिए
लड़कियाँ करती रहती हैं
झाडू ,पोछा ,बर्तन,खाना
जो भी उनसे कहा जाता है।
शादी से पहले पिता के घर
शादी के बाद पति के यहाँ बस करती ही रहती हैं,
न देखती हैं ,न सुनती हैं ,न कहती हैं
कूड़े के ढेर पर उगने वाले कुकुरमुत्तों की तरह
उगती ,पलती ,बढती और मरती रहती हैं। ... ...