tag:blogger.com,1999:blog-7740094785939108854.post5315490263488020467..comments2023-09-25T14:41:49.309+05:30Comments on feminist poems: एक नारी की कविताmuktihttp://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-7740094785939108854.post-73846811813563999312010-01-06T08:12:02.431+05:302010-01-06T08:12:02.431+05:30सुन्दर! अमरेन्द्र की बात दोहराते हैं हम!सुन्दर! अमरेन्द्र की बात दोहराते हैं हम!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7740094785939108854.post-70909676212924741772009-12-14T21:18:16.031+05:302009-12-14T21:18:16.031+05:30मेरी कविता
नहीं मानना चाहती
शैली, छन्द और
लयों के ...मेरी कविता<br />नहीं मानना चाहती<br />शैली, छन्द और<br />लयों के बंधन<br />मेरी कविता<br />जैसी है<br />उसे वैसी ही रहने दो<br /><br />सुंदर....अति सुंदर.....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7740094785939108854.post-85481581723134065382009-12-10T16:10:23.982+05:302009-12-10T16:10:23.982+05:30भाव तो उमड़ते है लेकिन कविता को आकार देने के लिये त...भाव तो उमड़ते है लेकिन कविता को आकार देने के लिये तो श्रम करना ही पड़ता है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7740094785939108854.post-61854604110749027262009-12-06T08:48:37.040+05:302009-12-06T08:48:37.040+05:30बेहतर
कविता बनती तो ऐसे ही है बस बनने के बाद जिसे ...बेहतर<br />कविता बनती तो ऐसे ही है बस बनने के बाद जिसे अंग्रेज़ी में प्रूनिंग कहते हैं, उससे थोडा और संवर जाती है।<br /><br />जैसे गुलाब का पौधा उगता तो ऐसे ही है बेतरतीब बस माली उसमें थोडी काट-छांट कर देता है और वह पौधा बिना कुछ खोये और अधिक ख़ूबसूरत लगने लगता है वही कुछ रचना के साथ भी है। नैसर्गिकता को मारे बिना यह थोडी सी प्रूनिंग कविता को ख़ूबसूरत और पठनीय बना देती है।Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7740094785939108854.post-36556187436540934892009-12-05T21:05:34.913+05:302009-12-05T21:05:34.913+05:30मन के सच्चे भाव ह्रदय पर छाप छोड़ते हैं. आपकी कवित...मन के सच्चे भाव ह्रदय पर छाप छोड़ते हैं. आपकी कविता भी अपना पूरा असर छोड़ती है.अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7740094785939108854.post-34971532760458731542009-12-05T16:14:26.359+05:302009-12-05T16:14:26.359+05:30खुद से उग आयी
झाड़ी के फूलों की तरह
अधकचरे अमरूद क...खुद से उग आयी<br />झाड़ी के फूलों की तरह<br />अधकचरे अमरूद के<br />बकठाते स्वाद की तरह<br />मेरी कविता<br />नहीं मानना चाहती<br />शैली, छन्द और<br />लयों के बंधन<br />मेरी कविता<br />वाह वाह बहुत ही सुन्दर बधाईनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7740094785939108854.post-87166320607438633592009-12-05T08:39:38.955+05:302009-12-05T08:39:38.955+05:30जो सुन्दर है, वो अनगढ़ ही है । नैसर्गिक सौन्दर्य ! ...जो सुन्दर है, वो अनगढ़ ही है । नैसर्गिक सौन्दर्य ! <br />कविता सच में भावों का सहज उच्छलन ही है । वर्डसवर्थ के समीप हैं हम कविता के बन जाने को लेकर - "a spontaneous overflow of powerful feelings."Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7740094785939108854.post-70018951722482087912009-12-05T08:07:37.826+05:302009-12-05T08:07:37.826+05:30जिंदगी है ...बहने दो ...!!जिंदगी है ...बहने दो ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7740094785939108854.post-84901874454245339472009-12-05T07:10:00.694+05:302009-12-05T07:10:00.694+05:30कहने दो.niceकहने दो.niceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7740094785939108854.post-87353616730988811882009-12-05T07:01:21.917+05:302009-12-05T07:01:21.917+05:30मगर असली लयबद्धता ,छंदबद्धता ही तो नैसर्गिक है -सह...मगर असली लयबद्धता ,छंदबद्धता ही तो नैसर्गिक है -सहज है -मन को अनुरक्त करती है !<br />सुन्दर रचना !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7740094785939108854.post-23460946596016633892009-12-05T04:30:02.097+05:302009-12-05T04:30:02.097+05:30मेरी कविता
नहीं मानना चाहती
शैली, छन्द और
लयों के ...मेरी कविता<br />नहीं मानना चाहती<br />शैली, छन्द और<br />लयों के बंधन<br />वाकई जब भावो के अनगढ बहाव मे से शब्द अंकुरित होते है तभी कविता बंनती हैM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7740094785939108854.post-41709136836508294552009-12-05T04:20:57.565+05:302009-12-05T04:20:57.565+05:30मन के भाव है...अनगढ बहाव हो या कुछ ओर...सच्चे भाव ...मन के भाव है...अनगढ बहाव हो या कुछ ओर...सच्चे भाव प्रभाव छोड़ ही जाते हैं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7740094785939108854.post-4956134264234254822009-12-05T01:06:56.309+05:302009-12-05T01:06:56.309+05:30आपने कविता में ही अपनी कविता की रचना - प्रक्रिया
...आपने कविता में ही अपनी कविता की रचना - प्रक्रिया <br />और विशेषता बता दिया ... अनगढ़ में ज्यादा नैसर्गिकता <br />होती है ... यह अनगढ़ का गढ़ाव है ... इन सबका प्रमाण <br />आपके द्वारा चुने गए बिम्ब हैं ...<br />...'' खुद से उग आयी<br />झाड़ी के फूलों की तरह '' आदि ...Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.com